पूर्व केंद्रीय मंत्री और बंगाल में बीजेपी के बड़े चेहरा बाबुल सुप्रियो ने पार्टी छोड़ दी है। बाबुल सुप्रियो ने राजनीति को अलविदा कह दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिख कहा है कि वे राजनीति में सिर्फ समाज सेवा के लिए आए थे। अब उन्होंने अपनी राह बदलने का फैसला लिया है।
बीजेपी छोड़ बाबुल सुप्रियो ने राजनीति से लिया सन्यास
उन्होंने कहा है लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है। वे राजनीति से अलग होकर भी अपने उस उदेश्य को पूरा कर सकते हैं। उनकी तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि वे हमेशा से बीजेपी का ही हिस्सा रहे हैं और रहेंगे। वे कहते हैं कि उनके इस फैसले को 'वो' समझ जाएंगे।
यह भी पढ़े - यूपी चुनाव को लेकर बीजेपी का दिल्ली में चुनावी मंथन, केंद्रीय मंत्रियों को जारी दिशा निर्देश
कुछ दिनों से बाबुल सुप्रियो की चुप्पी और बीजेपी में उनकी कम होती भूमिका पर कई तरह के सवाल उठने लगे थे। अटकलें थी कि बाबुल कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। अब अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन तमाम विवादों पर भी बाबुल ने विस्तार से बात की है। उन्होंने कहा है कि पार्टी संग मेरे कुछ मतभेद थे। वो बातें चुनाव से पहले ही सभी के सामने आ चुकी थीं। हार के लिए मैं भी जिम्मेदारी लेता हूं, लेकिन दूसरे नेता भी जिम्मेदार हैं।
बाबुल सुप्रियो पहले से छोड़ना चाहते थे पार्टी
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि वे लंबे समय से पार्टी छोड़ना चाहते थे। वे पहले ही मन बना चुके थे कि अब राजनीति में नहीं रहना है। लेकिन बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के रोकने की वजह से उन्होंने अपने उस फैसले को हर बार वापस लिया था। लेकिन अब क्योंकि उनके कुछ नेताओं संग मतभेद होने शुरू हो गए थे और तमाम विवाद भी जनता के सामने आ रहे थे, ऐसे में उन्होंने राजनीति छोड़ने का मन बना लिया है।
मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह
वैसे हाल ही में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में भी बाबुल सुप्रियो को जगह नहीं दी गई थी। उन्हें उनके पद से से इस्तीफा देना पड़ा था। सोशल मीडिया पोस्ट पर उन्होंने इस बारे में भी लिखा है, लेकिन कुछ भी स्पष्ट रूप से लिखने से बचे हैं।
बाबुल का बंगाल में बीजेपी पर राय
बंगाल में बीजेपी की बढ़ती ताकत पर बाबुल ने कहा है कि अब पार्टी के पास कई नेता मौजूद हैं. नौजवान भी हैं और दिग्गज भी साथ खड़े हैं, ऐसे में अगर कोई अब पार्टी छोड़ भी देता है तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। उनके मुताबिक जब उन्होंने बंगाल में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का निर्णय लिया तब यहां पर बीजेपी की स्थिति बिल्कुल सही नहीं थी। वे अकेले एक बड़ा चेहरा थे। लेकिन अब 2019 के बाद से बीजेपी इस राज्य मे मुख्य विरोधी पार्टी बन उभरी है।
बाबुल ने अपनी पोस्ट के अंत में भावुक अंदाज में कहा है कि 1992 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नौकरी छोड़कर मुंबई मुंबई भागते वक्त जो किया था, अब फिर मैंने वहीं किया है।
फैसले पर राजनीतिक अटकले
अब बाबुल ने जरूर सोशल मीडिया पर राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया है, लेकिन टीएमसी ने इसे ड्रामा करार दिया है। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं कि बाबुल को अगर राजनीति से संन्यास लेना है, तो सबसे पहले एमपी पद से इस्तीफा देना चाहिए। ये बात किसी से नहीं छिपी है कि मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बीजेपी ने बाबुल को भाव नहीं दिया था।
वहीं बंगाल में बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस सवाल से बचने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। बाबुल ने एमपी पद से इस्तीफा नहीं दिया है। वहीं किसे राजनीति में रहना है और किसे जाना है, ये एक निजी फैसला है।
No comments:
Post a Comment
Thanks For Visit my site