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श्री अरविन्द केजरीवाल और श्री अंशु प्रकाश |
दिल्ली : पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एंव राष्ट्रीय प्रवक्ता आशीष खेतान ने कहा कि ‘आज मैं करीब एक बजे के आस-पास सचिवालय पहुंचा, जैसे ही मैं लिफ्ट के पास गया तो मैंने देखा कि वहां तकरीबन 150 लोगों का हुजूम जमा था जो ‘बीजेपी ज़िदाबाद’ के नारे लगा रहे थे, वो मेरी तरफ़ दौड़े तो मेरा व्यक्तिगत स्टाफ़ और मेरा पीएसओ मुझे पिछली तरफ़ की लिफ्ट पर ले गए लेकिन फिर अचानक ने लिफ्ट में से 30-35 लोग निकले और वो लोग मेरी तरफ़ भागे, मेरे साथ मेरा स्टाफ़ था, उन्होंने मुझे बचाया, इन सबके बीच मेरे स्टाफ़ को चोट आईं, लिफ्टमैन को भी मुक्के मारे गए, मैं मुशिकल से वहां से बचकर निकला।
फिर थोड़ी ही देर बाद वहीं सचिवालय में ही हमारे मंत्री के उपर हमला किया गया, वहां भी वही सारे लोग मौजूद थे, उस भीड़ ने मंत्री इमरान हुसैन के सहायक हिमांशु को बुरी तरह से मारा जिसे काफ़ी चोट आई हैं। सबसे ज्यादा हैरान करन वाली बात यह है कि सचिवलाय जैसा कार्यालय जो सुरक्षा के लिहाज से काफ़ी संवेदनशील माना जाता है, वहां इतनी बड़ी संख्या में वहां वे लोग कैसे घुसे, वे लोग कौन थे, नारेबाज़ी कैसे हो गई? किसकी शह पर वे लोग सचिवालय में घुसे? किसने उन लोगों को वहां तक आने में मदद की? यह सब जांच का विषय है।
सचिवालय में मुख्यमंत्री का कार्यालय है और पूरी सरकार वहां मौजूद रहती है, वहां दंगे जैसी स्थिति आखिर कैसे बनने दी गई? और किसने ऐसा कराया? किसकी सह पर वे लोग सचिवालय में दंगे जैसे हालात बना दिए थे।
दिल्ली सचिवालय में दिल्ली सरकार के ही मंत्री पर हमला होना बहुत बड़ी बात है, क्या आपने किसी राज्य में ऐसा कभी देखा है? मैंने उस पूरी घटना की पुलिस में शिकायत की है, इमरान हुसैन ने भी शिकायत की है, अब देखना यह है कि पुलिस क्या करती है?
लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि जिस तत्परता से गृहमंत्री जी आईएएस अधिकारियों से मिले हैं, वो हमसे नहीं मिले, हमने उनसे मिलने का वक्त मांगा लेकिन में मिलने का वक्त नहीं दिय गया। हम उम्मीद करते हैं कि ठीक उसी तरह से गृहमंत्री जी हमसे से भी मिलेंगे, हम एलजी से भी मिलने का वक्त मांग रहे हैं ताकि इस पूरी घटना की शिकायत हम उपराज्यपाल महोदय को भी कर सकें।
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि गृहमंत्री जी ने अधिकारियों से मिलने के बाद ट्वीट करके यह कैसे तय कर लिया कि आम आदमी पार्टी की सरकार या उसके विधायक इस मामले में दोषी हैं, और जब आपने तय ही कर लिया है कि आम आदमी पार्टी दोषी है तो फिर जांच के आदेश देने का मतलब क्या रह जाता है? बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि गृहमंत्री ने सिर्फ़ एक ही पक्ष को सुना है और एक तरह से अपना फ़ैसला भी सुना दिया।
AAP सरकार ने अफ़सर से पूछा था कि दिल्ली की जनता को राशन क्यों नहीं मिल रहा? जनता परेशान है। उसके उत्तर में मुख्य सचिव ने कहा जनता और जनता की सरकार को जवाब नहीं दूंगा, LG को जवाब दूंगा
जहां तक मुद्दा मुख्यमंत्री के आवास पर मुख्य सचिव के साथ की गई बैठक का मुद्दा है तो वहां जनता के चुने हुए कुछ प्रतिनिधि भी मौजूद थे और मुख्यमंत्री भी थे, कई विधायकों को अपने इलाक़ो से यह शिकायत मिल रही थी कि उनके क्षेत्र में जनता को राशन नहीं मिल रहा है, जनता के चुने हुए विधायकों ने सरकार के मुख्य सचिव से बस यही पूछा गया था कि पिछले 1-2 महीनों से दिल्ली के लोगों को राशन क्यों नहीं मिल रहा है? इसे लेकर जनता परेशान है, जनता तो अपने चुने हुए विधायकों के पास जाकर ही शिकायत कर रही है, विधायकों ने बस उसी का जवाब सरकार के बड़े अफसर से मांगा था लेकिन मुख्य सचिव बिना इस बात का जवाब दिए बाहर चले गए और अगले दिन उठकर मीडिया में झूठ बोलकर मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी की सरकार जनता को समर्पित सरकार है और जनता के मुद्दे पर हमारे विधायक और हमारी सरकार अधिकारियों से जवाब मांग रही थी लेकिन मुख्य सचिव ने विधायकों को खरा-खरा जवाब दिया कि वो ना तो दिल्ली की जनता को कोई जवाब देंगे और ना ही जनता के प्रतिनिधियों को ही जवाब देंगे, मुख्य सचिव का कहना था कि वो सिर्फ़ एलजी के प्रति जवाबदे हैं और LG को ही जवाब देंगे।
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