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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ, LG मोदी सरकार के इसारे पर कर रहे थे काम |
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना महत्वूर्ण फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने मुख्य फैसले में कहा कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए मंत्री-परिषद के पास फैसले लेने का अधिकार है। पीठ ने यह भी कहा कि एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि हर मामले में LG की सहमति जरूरी नहीं, लेकिन कैबिनेट को फैसलों की जानकारी देनी होगी।
केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बीच रस्साकशी की शुरुआत वर्ष 2014 में उस वक्त हुई थी जब तत्कालीन अरविंद केजरीवाल शासन ने संप्रग मंत्री एम वीरप्पा मोइली एवं मुरली देवड़ा सहित रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), मुकेश अंबानी एवं अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। इन सभी पर गैस दरों को 'फिक्स करने' का आरोप था।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्मचारियों के तबादले और पोस्टिंग के लिए फैसले लेने का अधिकार मंत्रियों को दे दिया गया है। इस बारे में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आदेश जारी कर दिया है।
दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री IAS/ DANICS, उप मुख्यमंत्री- ग्रेड 1/2 DASS, प्राइवेट सेक्रेटरी मंत्री (सर्विसेज)- ग्रेड 3/4 DASS व ग्रेड 2/3 स्टेनो, शेष विभागों के संबंधित मंत्री बाकी सभी कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के फैसले ले सकेंगे. दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
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उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने जो फैसला दिया है उस पर कैबिनेट मीटिंग हुई थी। लॉ मिनिस्टर ने फैसले को सामने रखा। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि उसी हिसाब से सभी काम होंगे। अधिकारियों को कैबिनेट ने दिशानिर्देश दिए हैं। सीएस से कहा गया है कि राशन डोर स्टेप और सीसीटीवी पर जल्द कार्यवाही शुरू की जाए। उसे तुरंत कैबिनेट में लाया जाए।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद एलजी ने सरकार से ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार अपने पास रख लिए थे या डिपार्टमेंट हेड को दे दिए थे। कुछ अधिकार सीएस को दिए गए थे। थोड़ी देर पहले मैंने आर्डर दिए हैं कि आईएस दानिक्स के ट्रांसफर सीएम के अप्रूवल से होंगे, ग्रेड 2 डिप्टी सीएम, ग्रेड 3 और 4 के लिए सर्विस डिपार्टमेंट मंत्री की मंजूरी ली जाएगी।
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उन्होंने कहा कि संविधान के हिसाब से एलजी के पास पॉवर नहीं था लेकिन एलजी ने गलत व्याख्या करते हुए मोदी जी की तरह काम करना शुरू कर दिया। एलजी के पास अब पॉवर नहीं है। ट्रांसफर सब्जेक्ट पर कोई परमीशन की जरूरत नहीं है।
तीन विषयों के अलावा हमने जब गेस्ट टीचरों को परमानेंट करने की कोशिश की थी तो उन्होंने यही कहकर मना किया था कि हमारे पास पॉवर नहीं हैं। टीचर को फ़िनलैंड भेजने पर भी हमसे परमीशन नहीं ली गई। यह इसी मिस इंटरप्रिटेशन के कारण हुआ था कि सिर्फ पार्लियामेंट के पास पॉवर है, तीन सब्जेक्ट के अलावा कानून बनाने पर उस कानून को राज्य की विधानसभा से भी पास कराने की जरुरत है जैसा कि जीएसटी में हुआ।
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